ही नहीं ऐसे खाटू में,
दीनो का मेला लगता है,
Author: Pushpanjali
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई।
बैठी थी घमंड में,में बैठी थी गुमान में।
म्हारी झुपड़िया आवो मारा राम,
कितनो सोनो कितनो सुंदर सबसे न्यारो लागे
खाटू में मची धमाल फागुन आयो रे,
कभी अपने भक्त के घर घर भी,
सांवरिया दरश दिखा जाना,
आछी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी,
सांवरिया आपा होली तो खेला रे,
फागणियो आय गयो,
जाना जब भी श्याम दरबार,
शुकर हर बार करना,
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