जब जब भी संकट का मुझ पर घेरा होता है
Tag: Apne dil ka darwaja hum khol ke sote hai
अब तो बुला दरबार साँवरे,
मैं कर ना सकूँगा इन्तजार साँवरे,
आस लगी है, तेरे दर्शन की,लाज रखो मेरे असुवन की,
मेरे दिल में तुम ही समाई, आ जाओ दुर्गे माई।
आता रहूं दरबार भोलेनाथ,
मैं पाता रहूं तेरा प्यार भोलेनाथ,
दिल से दिल भर के न देखी, मूर्ति भगवान की।
तेरे दरबार में सर झुकाती रहूं ।
तू बुलाता रहे और मैं आती रहूं।।
जाना जब भी श्याम दरबार,
शुकर हर बार करना,
मेरा दिल तुझपे कुर्बा,
मुरलिया वाले रे,
दिल मतवाला जपूं कैसे माला,
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