ना पकड़ो हाथ मन मोहन, कलाई टूट जाएगी,
Tag: bag ki malan moh legi
म्हारे राम बाग़ गुलज़ार
म्हारी अजब बाग़ गुलज़ार
अब आन मिलो मोहन,
तन्हाई नहीं जाती,
ओ मोहन तेरे हो गए हम,
प्यार में तेरे खो गए हम,
मैं तो भूल गई भगवान माला भूल गई।
दिल मतवाला जपूं कैसे माला,
थारी मोह माया ने छोड़ ,
राम ने भज रे ।
कन्हैया बागों में मत जाइयो बाग की मालन मोह लेगी।