हम तुम्हारे कभी ना बन पाए,
Tag: Darwar tumhara shyam
माना में मजबूर हूं लेकिन,श्याम मेरा मजबूर नहीं।
श्याम तेरे हाथों में हमारी डोर है,
तेरे सिवा जग में ना कोई और है,
हाथों में ले श्याम ध्वजा, मन में ले विश्वास,
ऐलान करता हू, सरे आम करता हूँ,
मैं तो मेरे ही श्याम का, गुणगान करूँगा,
तुम्हारे दर पे आना चाहती हूँ
अगर हरी तू जरा सी आस देदे,
तुम रूठ गए जो मुझसे क्या हाल हमारा होगा।
अर्पण किया है श्याम को जो भी तुझको वापिस बाँट दिया।
कैसे बताऊं श्याम ने, क्या क्या नहीं किया
आ गए हो अगर श्याम इस मोड़ पर,
हमसे मिलने मिलाने का वादा करो
You must be logged in to post a comment.