ये रंग मोहे राम नाम का प्यारा रे।
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अवध सैंया मेरी छोड़ो न बैंया। सिया के सैंया मेरी छोड़ो न बैंया।
राम से लगी डोरी श्याम से लगी। उनको कौन सतावे जिन की डोरी राम से लगी।
म्हारी झुपड़िया आवो मारा राम,
पापी के मुख से राम नही निकले,
केसर घुल गयी गारा में,
जल जाए जिव्हा पापनी,
राम के बिना,
कौशल्या, दशरथ के नंदन,
राम ललाट पे शोभित चन्दन
रामा दल में सुलोचना आई, मेरी अरज सुनो रघुराई।
ग़रीबों के दाता हो अगर तुम मुरारी,
मेरी पार नैयाँ, लगानी पड़ेगी,
दुनिया में दातार बहुत हैं, दिखला दे दातारी,
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