अरी ओ लाडली अपने माथे का टीका संभाल।
Category: विविध भजन
ओ जी रे दीवाना तू तो, मालिक ने क्यों भूलीयो रे दीवाना
प्रभु रथ में हुए सवार नगाड़ा बाज रहा
मन रे जप ले तू सुबह शाम। सांचा है बस एक प्रभु का नाम।
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएगा।
मासूम सी गुड़िया मेरी, सबकी है तू धड़कन
ये चमक ये दमक फूलवान वा
महक सब कुछ सरकार तुम्हाई से है।
आज होलिका के अवसर पर जागे भाग गुलाल के।
माटी का मैं हूं बंदा ,ना कोई सोना ना कोई हीरा
नर सो मती जाग भजन करले,नर सो मति रे।
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