सकल हंस में राम बिराजे ,
राम बिना कोई धाम नहीं।
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मुझे मिला अनोखा प्यार ब्रिज की गलियों में ।
मैं सोचता कुछ और हूं, पर मांगता कुछ और हूं।
खाटू वाले तू प्रेम की पाठशाला है,
आता रहूं गाता रहूं,
श्याम तुम्हे मैं रिझाता रहूं,
हम पे है तेरा उपकार,
ओ बाबा हम तो पले है,
तेरी छाव में,
खाटू वाले मैं तेरा दीवाना,
पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी।
मन में उठन लागी हूक,
सांवरिये के नाम की,
आ गए हो अगर श्याम इस मोड़ पर,
हमसे मिलने मिलाने का वादा करो
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