फागुण की रुत ऐसी आई है,
खाटू में मस्ती छाई है,
Tag: Chayi re khatu nagar me bahar shyam milan ki rut aayi
मैं सोचता कुछ और हूं, पर मांगता कुछ और हूं।
सोचा नहीं जो ख्वाब में,
उतना हमें मिला,
खाटू वाले तू प्रेम की पाठशाला है,
मैं रोज निहारूँ झांकी,
खाटू वाले दातार की,
खाटू की गलियां रहती सदा गुलज़ार है
इनमे लीले चढ़ घूमे लखदातार है ।
माना में मजबूर हूं लेकिन,श्याम मेरा मजबूर नहीं।
खाटू वाले मैं तेरा दीवाना,
पैदल आस्यां ओ साँवरिया थारी खाटू नगरी, पैदल आस्यां जी।
मन में उठन लागी हूक,
सांवरिये के नाम की,
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