जग पर संकट आया बाबा मोर छड़ी लहराओ ना।
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इस नभ में ऐसे चमके जैसे सूरज चांद सितारे।
ये मोरछड़ी लहरा दो,मेरे सारे कष्ट मिटा दो,
अवध सैंया मेरी छोड़ो न बैंया। सिया के सैंया मेरी छोड़ो न बैंया।
ओ सिर पे पंख मोर
बोले तोतले से बोल,
कहे इसे माखन चोर मेरे दिल में भावे से,
राम से लगी डोरी श्याम से लगी। उनको कौन सतावे जिन की डोरी राम से लगी।
म्हारी झुपड़िया आवो मारा राम,
पापी के मुख से राम नही निकले,
केसर घुल गयी गारा में,
जल जाए जिव्हा पापनी,
राम के बिना,
कौशल्या, दशरथ के नंदन,
राम ललाट पे शोभित चन्दन
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