बैठी थी घमंड में,में बैठी थी गुमान में।
Tag: Baithi ho ma samne
सामने आओगे या आज भी पर्दा होगा,
पीपल की छांव में, ठंडी हवाओं में, बैठी है मेरी मैया, सबकी निगाहों में।
चरणों में बैठे हनुमान ओ राम जी के मंदिर में,
ओ मईया, बैठी है भंडारे खोल के,
भर लो झोलियां, जयकारे बोल के,
करस्यां सिंधारा थारा मावड़ी
सिर पे मां सोहे चुनरिया लाल, हाथों की मेहंदी लगती कमाल।
दादीजी या विनती म्हारी,सुनियो ध्यान लगाकर जी
बैठी हो मां सामने कर सोलह श्रृंगार