दोए -दोए गुजरिया के बिच में ,
अकेलो क़ानूड़ो।
Author: Pushpanjali
राधा प्यारी से कान्हा खेलें फाग री,
भागा रे भागा रे भागा नंदलाला, राधा ने पकड़ा रंग डाला।
म्हारी चुनर भीगी भीगी, जाए रे श्याम
सुन ले सुन ले ए नंदरानी कान्हो रंग लगावे है
घुंघट खोल ले मिसरानी आगयो बाबा को दरबार घुंघट खोल ले
फागण आयो रे चलो श्याम के द्वारे।
श्याम जी चोखी है गुलाल थारी नगरी की सांवरा चौखी है