हंसा नजर नहीं आया प्रेम गुरू,
अंत नजर नहीं आया,
Tag: bega padharo mhara satguru
गंगा बिन तीर्थ,
एकादशी बिना व्रत कहाँ है।
रंगा लाई रे सतगुरु से ज्ञान चुनरी।
बरसां सं यो दिन आयो,
हिवडै मं हेत सवायो,
ठाकुर पधारया म्हारै आंगणै,
आ मन बैठ जरा गुरु जी के चरणों में
गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है,
मैं तो अरज करू गुरु थाने,
चरणा में राखजो माने,
मेरे सतगुरु जी तुसी मेहर करो,
भाग भला ज्याँ घर संत पधारे ।
गुरासा शरण आपरी आया,
शरणों में आया,
बहुत सुख पाया,
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