भजे क्यों ना राम,क्यों सौवे तूं बुढ़िया।
Category: विविध भजन
हे दयामय आप ही संसार के आधार हो।
दिल मतवाला जपूं कैसे माला,
कलयुग कठिन पाप रो पैरो,नियम छोड़ेला नर नारी
मुक्ति का कोई तूँ जतन करले रे,
रोज थोड़ा थोड़ा हरी का भजन करले ।
चलो साथीड़ा आपा हरिगुण गावा,
प्रभु ने अजब लिखी तकदीर।
ऐसा कलयुग आया संतो ऐसा कलयुग आया।
कमइले हीरा चाहे मोती, कफ़न में जेब नहीं होती,
सुख थोड़े दुःख घणे जगत मँ, भोग्यां कष्ट सरै राणी।
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