नाथ ये वो ही है रघुनाथ,
जिसने मारा है बाली।।
Tag: Agar nath dekhoge avgun hamare
यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है,
तर जाओगे राम गुण गाने से, क्या होता है गंगा नहाने से।
राम गुण गायले रे भाई म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।
करना है तो कोई पुण्य करम कर ,
लेना है तो ज्ञान ले।
ऐलान करता हू, सरे आम करता हूँ,
मैं तो मेरे ही श्याम का, गुणगान करूँगा,
तुम बिन नाथ कौन गति मेरी।
टेढ़ो टेढ़ो देखे रे,
साँविरया म्हारी ओर जी,
चलो साथीड़ा आपा हरिगुण गावा,
मांग कर देख लो,
मन में जो खास है,
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