श्याम सलोने का प्यारा श्रृंगार है,
कितना सुन्दर सांवलिया सरकार है ।
Tag: aur na aisa singar
कितना सोणा है दरबार,
भवानी तेरा ये सिणगार,
,थाने बनड़ो बणायो रे,थारो होयो गजब श्रृंगार,
ऐसा कलयुग आया संतो ऐसा कलयुग आया।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहां पाया, राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया।
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे।
ऐसा बना दे मुझे श्याम दीवाना।
सखियों करो सोलह श्रृंगार,हरी हमें लेने आए है।
मुझे परवाह नहीं बाबा,जमाना क्या ये बोलेगा।
ना ऐसा दरबार,और ना ऐसा सिंगार
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