राम भजन रा लावा लेलो,
हरि भजन रा लावा,
जग बितयो जाय लावा।।
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भजे क्यों ना राम,क्यों सौवे तूं बुढ़िया।
उमरिया बिताए देयी,राम नहीं जाना।
शबरी राम को बेर खिला रही,मीठे चाख चख के।
राम घर आया शबरी,
करे है बधावना,
इक चुटकी सिन्दूर माँग भरी जो, मिल जाते मैया को मेरे श्री राम,
राम का ऐसा दीवाना दूसरा कोई नहीं,
भजो मन राम सिया,जपो मन राम सिया,हरी ने जनम लिया
हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
बजरंग बालाजी अंजनी लाला जी,
तेरा सिंदूरी तन मन भाये,
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