मोर मुकुट मुरली की कसम हम तुमसे मोहब्बत करते हैं
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मोरछड़ी जद लहरावै तो भगता की बिपदा भागी,
ले ले सुआ हरी नाम ,
नाम लियां तिर जासी ।
वृंदावन बोले मोर, ओ मोर, गोकुल में शोर भयो भारी।
लट खोल के नाचो मेरी माये
कि नैना रतन जड़े
बाबा जी तेरी खोली में छम छम नाचे मोर
ये मोरछड़ी लहरा दो,मेरे सारे कष्ट मिटा दो,
सुमिरण दुख भंजन का,
चारभुजा धारी गिरजा नंदन का,
ओ सिर पे पंख मोर
बोले तोतले से बोल,
कहे इसे माखन चोर मेरे दिल में भावे से,
जब अटके तेरा कोई काम, तु जपले हनुमान का नाम, काम बने चुटकी में,
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