छेल चतुर रंग रसिया रे भंवरा,
पर घर प्रीत मत कीजे,
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मेरे घर में श्याम रो वास, पहलयां श्याम जागे,
ले ले सुआ हरी नाम ,
नाम लियां तिर जासी ।
अब तिरछी नजर मेरे हरि की।
हरि मैं तो लाख यतन कर हारी।
तेरा संकट सारा हर लेंगे,
तू नाम हरि का जपले,
हरि नाम के रस को पी पीकर,
आनंद में जीना सीख लिया,
सखी री कर लो व्रत ग्यारस का हरि का मिलना मुश्किल है।
चलो साथीड़ा आपा हरिगुण गावा,
मैं तो सोये रही सपने में,
मेरे घर आए गोपाल ।
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