तेरा दाना खा खा कर माँ सारी उम्र गुजारी,
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कमइले हीरा चाहे मोती, कफ़न में जेब नहीं होती,
जिंदगी है मौज में, मौज में जी मौज में,
उमरिया बिताए देयी,राम नहीं जाना।
मैंने मानुस जनम तुमको हीरा दिया
तूने यूँ ही गवांया तो मैं क्या करूं।
जिसके ह्रदय में राम नाम बंद है,
उसको हर घड़ी आनंद ही आनंद है।।
रोये जो श्याम का प्रेमी,
उसे श्याम ही धीर बँधाए,
चली धरके मटुकिया दही वाली।
चली जा रही है उमर धीरे धीरे,