फूलों में बैठे गिरधारी, चले आना खोल किवाड़ी।
Tag: ayodhya nagari ful rahi
म्हारे हिवडे उठी हिलोर भायला खाटू नगरी जावण की,
छाई रै खाटू नगर में बहार,
श्याम मिलन की रूत आई,
काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर
ओ कान्हा मेरे ओ कान्हा मेरे, तेरी राह निहारु पनघट पे,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो,
राम सरयू नहाते मिलेंगे।।
अरी री मैं तो ओढ़ चुनरिया जाउंगी मेले में,
हमको भी एक बार घुमाई दे कोई अवध नगरिया।
जनक दुलारी की होती बिदाई ।
रोये नगरिया हो
माला फुलन कि राम जाने किसके गले पड़ेगी।
You must be logged in to post a comment.