चुनर ओढ़ लेई ओढ़ लेई रे,नटवर नागरिया
Tag: Chipte chipate aay gayi re kanha teri nagariya
ले चल अपनी नागरिया, अवध बिहारी साँवरियाँ,
कान्हा कंकर ना मारो गगरिया में। हमें जाना है गोकुल नगरिया में
छाई रै खाटू नगर में बहार,
श्याम मिलन की रूत आई,
काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर
कान्हा न चाहिए बैकुंठ जन्म मोहे ब्रज में दियो रे
में तेरी हूं तू मेरा है, गिला किस बात का यह बता।
हमको भी एक बार घुमाई दे कोई अवध नगरिया।
जनक दुलारी की होती बिदाई ।
रोये नगरिया हो
छिपते छिपाते आ गई रे कान्हा तेरी नगरिया।