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राम भजन लिरिक्स

Janak dulari ki hoti bidayi,roye nagariya ho,जनक दुलारी की होती बिदाई,रोये नगरिया हो,ram bhajan

जनक दुलारी की होती बिदाई ।
रोये नगरिया हो

जनक दुलारी की होती बिदाई ।
रोये नगरिया हो
बगिया की चिड़िया
सब उड़ के चली हैं
हो गयी पराई बिटिया हो
बिटिया की होती बिदाई
रोये नगरिया हो ॥


छूटी गलियां चौबारे
छूटे छूटी ऊंची अटारी
हो गया सूना जनक का
अंगना गूंजे जहाँ किलकारी
अन्सुआ भरे नैनो से बिलखती
सारी ही सखियाँ हो, रोये नगरिया
हो, मिथिला नगरिया हो।

भूमिसता की पावन हसी से
खिलती जहाँ फूल वारी
झरने झरते नदियां बहती
सिया की करे जय जयकार
वन उपवन सब मौन पड़े हैं
सिसके पुरवइया हो रोये
नगरिया हो, मिथिला नगरिया हो

अवध में इतना प्रेम मिले की
मात पिता ना याद आये
ओ सबकी दुलारी प्यारी बनो तुम
दुःख कभी छू नहीं पाये
मात पिता दे आशीष तेरे
पग पग खुशियां हो, रोये
नगरिया हो, मिथिला नगरिया हो

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