जब जाना जनकपुर राम हमारी गली होकर के जाना।
Tag: Ghar rah jao janakdulari
जानकी प्यारी के, जनक दुलारी के, मन में बसे हैं श्री राम
जनक दुलारी की होती बिदाई ।
रोये नगरिया हो
आज हमारे घर में मैया जी तेरा कीर्तन है।
गं गणपति लंबोदरम,तेरा रूप है अति सुंदरम।
पतित जनों को करो पुनीता, हे राम सीता, हे राम सीता।
फुलबगिया चलो सखी फूल चुन लावे
जे सच्चे मन से भजन करोगे तो राम रुखाला हो जागा।
मेरे राम के गीतों को गाकर तो देखो।
ओ लीलण म्हारी जाओ जी जाओ जी।
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