ले चल अपनी नागरिया, अवध बिहारी साँवरियाँ,
Tag: Aanand chayo janak nagariya kaise sapari
खाटू के श्याम धणी की,
महिमा अपार है,
कान्हा कंकर ना मारो गगरिया में। हमें जाना है गोकुल नगरिया में
हो माने ना छेड़ो जी नंदलाल मटकियाँ सिर से गिर जायेगी।
आज कैलाश पर्वत आनंद भयो रे
पारवती के गजानन भयो रे।
रूस गयो नंदलाल मारी राधा रूस गयो नंदलाल
म्हारे हिवडे उठी हिलोर भायला खाटू नगरी जावण की,
छाई रै खाटू नगर में बहार,
श्याम मिलन की रूत आई,
उठवा दे नंद के लाल गगरिया पानी की।
मेरी नाव में चढ़ मत जाना,जादूगर दोनो भैया।
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