कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
Tag: Apne kanha ki sun lo shikayat
तुम तो कान्हा छलिया हो दरश कब दिखाओगे।
काया मल मल धोई, काया को दुनिया रोई।
आज भवर में नैया कन्हैया
तुम हो कहा तुम हो कहाँ
हिये काया में बर्तन माटी रा,
टूटे जासी नहीं कर राङ को,
मारा हंसला रे चालो शिखरगढ़,
काया कोठड़ी में रंग लागो।
अर्जी सुन ले लखदातार, तेरा गुण गाए संसार
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी ।
घढ़वा दे म्हारा कानजी सोना री झुमरिया।
हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया,
You must be logged in to post a comment.