जिसने कृष्ण कृष्ण टेरया,फेरी मन की माला,
Tag: gal me vaijanti mala
कान्हा न चाहिए बैकुंठ जन्म मोहे ब्रज में दियो रे
श्री रघुवर कोमल कमलनयन को, पहनाओ जयमाला।
कर जोड़ खड़ी सीता,माला पहनाने को।
माला फुलन कि राम जाने किसके गले पड़ेगी।
कान्हा मथुरा में बहना वैद्य बनो सरकारी।
हरी नाम की माला जप ले,
पल की खबर नही,
जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।
हम दीवाने द्वार तुम्हारे,आये बाबा श्याम,
शरण तुम ले लो ना,
मुझे सांवरे के दर से कुछ ख़ास मिल गया है।
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