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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Kaya nagar re bich me re,lahariya lamba ped khajur,काया नगर रे बीच में रे,लहरिया लम्बा पेड़ खजूर,nirgun bhajan

काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर

काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर ।
चढे तो मेवा चाखले रे,
पड़े तो चकना चूर ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥

शबद कटारी बाकड़ी रे,
लहरिया गुरु गमरी तलवार ।
अविनाशी री फौज मेंरे,
कदे नहीं आणो हार ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥

माखी बैठी शहद पे रे,
लहरिया पंखुड़ियाँ लिपटाय ।
उड़ने रा सांसा पड्या रे,
लालच बुरी रे बलाय ॥
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥

जन्तर पड़िया जोजरा रे,
लहरिया टूट गई सब तार ।
तार बिचारो काँहि करे,
गयो रे बजावण हार ॥
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥

धमण धुखे गोळा तपे रे,
लहरिया धड़ – धड़ पड़े रे जंजीर ।
रामानन्द री फौज में रे,
सन्मुख लड़े रे कबीर ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥

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