काया नगर रे बीच में रे,
लहरिया लम्बा पेड़ खजूर ।
चढे तो मेवा चाखले रे,
पड़े तो चकना चूर ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥
शबद कटारी बाकड़ी रे,
लहरिया गुरु गमरी तलवार ।
अविनाशी री फौज मेंरे,
कदे नहीं आणो हार ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥
माखी बैठी शहद पे रे,
लहरिया पंखुड़ियाँ लिपटाय ।
उड़ने रा सांसा पड्या रे,
लालच बुरी रे बलाय ॥
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥
जन्तर पड़िया जोजरा रे,
लहरिया टूट गई सब तार ।
तार बिचारो काँहि करे,
गयो रे बजावण हार ॥
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥
धमण धुखे गोळा तपे रे,
लहरिया धड़ – धड़ पड़े रे जंजीर ।
रामानन्द री फौज में रे,
सन्मुख लड़े रे कबीर ।
भजन में खूब रमणा रे,
लहरिया हरी सू राखो हेत ।
प्याला भर – भर पीवणा रे,
लहरिया लागी हरि सूं डोर ॥