म्हारी दादी जगत सेठाणी,
म्हारो मौज करे परिवार,
Tag: doli chadh ke dadiji sasural chali
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
दादी को नाम,
काम तेरो बण जासी,
भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी।
मेरो नंद गांव ससुराल,अब डर काहे को।
चली धरके मटुकिया दही वाली।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा,
डम डम डमरू बजे, दूल्हा बन शिव ससुराल चले।
तूं बैठ पालकी नारायणी,तनधन जी के संग आज चली
म्हाने चिंता है क्यांकी पड़ी,म्हारे पग पग पे दादी खड़ी।
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