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krishna bhajan lyrics कृष्ण भजन लिरिक्स

Chali dhar ke matukiya dahi wali,चली धरके मटुकिया दही वाली,krishna bhajan

चली धरके मटुकिया दही वाली।

चली धरके मटुकिया दही वाली। दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

ग्वालिन जब घर से निकली कर सोलह सिंगार। नैनो में कजरा लगायो गले में पहने हार। ओढे लाल चुनरिया किन्नौर घाली।🌺🌺🌺🌺🌺🌺चली धरके मटुकिया दही वाली।दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

सिर पर गागर धरने लगी और चुनरी लई संभाल। जल्दी जल्दी चलने लगी वह सब सखियों के साथ। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺उसे मिल गए सांवरिया गिरधारी। चली धरके मटुकिया दही वाली।दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

रुको जरा ठाड़े रहो सुनो हमारी बात। इतना क्यों घबरा रही हम लगे हैं रिश्तेदार। तुम तो लगती हमारी छोटी साली।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चली धरके मटुकिया दही वाली।दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

इतने में घनश्याम ने मटकी लई उतार। थोड़ा-थोड़ा ग्वालों को बाटा थोड़ा लिया बचाए। अपने पी गए मटुकिया दही वाली।🌺🌺🌺🌺 चली धरके मटुकिया दही वाली।दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

ग्वाल बाल सब मिलजुलकर करने लगे विचार। कैसा है यह लाडला नटवर नंद कुमार। चलो अपनी बना ले अलग टोली।🌺🌺🌺🌺🌺🌺 चली धरके मटुकिया दही वाली।दही वाली रे दही वाली।चली धरके मटुकिया दही वाली।

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