भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी।
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धीरे धीरे ढोलक बजइयो मेरी सखियों, मैया भवन में आईं रे सब भक्त दीवाने।
मेरी मां का डोला आया।शेरावाली का डोला आया
तेरी छम छम पायल बाजे रे, ओ काली कल्याणी
मैयाजी तेरे दरबार में,मेरा नाचन ने जी करग्या।
मैया की लाल चुनरी कैसे बनी।
जगदंबे अरज मेरी सुन लीजिए
आओ स्वागत करें अंबे मां का,अंबे डोली चढ़ी आ रही है
तूं बैठ पालकी नारायणी,तनधन जी के संग आज चली
डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली
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