जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
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दादी को नाम,
काम तेरो बण जासी,
धुला लो पाँव राघव जी
अगर जो पार जाना है।
कान्हा मेरे एकबार तो आ जाइयो,मधुवन की कुंज गलिन में।
म्हाने चिंता है क्यांकी पड़ी,म्हारे पग पग पे दादी खड़ी।
गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार
जद जद मां रोली घोलूं,मेरे मन में यो आवे
गिनती कोन्या देहली ऊपर, कितना सथीया रोज मंडे।
थाने चुनरी महे टाबरिया उढाने आया
खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
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