तर्ज,ले श्याम धणी को नाम।
ले दादी को नाम,
काम तेरो बण जासी,
दादी ने सूमर के चाल,
तेरे आड़ी आसी।।
दादी ने सूमर के जावे,
बीके कदे ना रोडो आवे,
बीके काम सलटता जावे,
सगला रस्ता खुल जावे,
बात सब बन जासी,
दादी ने सूमर के चाल,
तेरे आड़ी आसी।।
ले दादी को नाम,
काम तेरो बण जासी,
दादी ने सूमर के चाल,
तेरे आड़ी आसी।।
चाहे सांझ हो चाहे सवेरा,
चाहे रात का घोर अंधेरा,
गर मात चरण में डेरा,
फिर जहाँ कहाँ हो बसेरा,
फिकर सब हट जासी,
दादी ने सूमर के चाल,
तेरे आड़ी आसी।।
ले दादी को नाम,
काम तेरो बण जासी,
दादी ने सूमर के चाल,
तेरे आड़ी आसी।।