तर्ज – झिलमिल सितारों का।
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
तेरी सेवा में है अर्पण,
तन मन मेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
इतनी किरपा करना,
हरदम इस लायक रहूं मैं,
जब दिल चाहे मेरा तेरे,
ढाढण धाम में आऊं मैं,
जी भर करूँ मैं दर्शन तेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
तेरी सेवा में है अर्पण,
तन मन मेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
मावस की मावस को तेरी,
घर में ज्योत जलाऊं मैं,
और पुरे परिवार के संग में,
तेरी धोक लगाऊं मैं,
भर दे तू खुशियों से आँगन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
तेरी सेवा में है अर्पण,
तन मन मेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
अपने सुख दुःख सारे केवल,
तुम को ही बतलाऊं मैं,
तीज त्यौहार सभी मेरे,
तेरे साथ मनाऊं मैं,
छोडू कभी ना दामन तेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
तेरी सेवा में है अर्पण,
तन मन मेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
तेरी सेवा में ही मेरी,
सारी उमर कट जाए,
भूल ना जाऊं तुमको ऐसा,
पल जीवन में ना आए,
वो पल हो अंतिम मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।
जब तक हो दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।
तेरी सेवा में है अर्पण,
तन मन मेरा,
जबतक हों दादी जीवन मेरा,
छूटे कभी ना ये आंगन तेरा।।