आस लगी है, तेरे दर्शन की,लाज रखो मेरे असुवन की,
Tag: Are ore chora nand Ji ka
रूस गयो नंदलाल मारी राधा रूस गयो नंदलाल
ओ सिर पे पंख मोर
बोले तोतले से बोल,
कहे इसे माखन चोर मेरे दिल में भावे से,
उठवा दे नंद के लाल गगरिया पानी की।
तूं मान कही नंदलाल नही,थाने में रपट लिखाय दूंगी।
नाम जप ले हरि का नाम जप ले, चौरासी तेरी कट जायेगी,नाम जपले।
सखी वृंदावन का चोर मेरे घर में आया,
दही माखन को चोर पकड़ लियो राधे ने ।
मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
मेरो नंद गांव ससुराल,अब डर काहे को।
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