चली धरके मटुकिया दही वाली।
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चली आ चली आ चली आना मेरी मां, अब देर ना लगाना
माई चली है धाम अपने, माई चली है धाम
गुड़हल के फूलों में कौन गुण है,नौ बहिनी लुभानी।
कन्या बनकर मैया देखो, आई मेरे अंगना।
आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,
मुझ को तेरा सहारा सदा चाहिए।
एक बार चली आओ,
मेरे द्वार चली आओ