गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार
Tag: doli chadh ke dadiji sasural chali
जद जद मां रोली घोलूं,मेरे मन में यो आवे
गिनती कोन्या देहली ऊपर, कितना सथीया रोज मंडे।
थाने चुनरी महे टाबरिया उढाने आया
बोल तने कईयां रिझाऊं मावड़ी।
ओढ़ो ओढ़ो म्हारी माता रानी आज,भगत थारी चुनर ल्याया ये।
खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
दादी चुनरी मुलायी,तने भाई की ना भाई
डोली चढ़ के दादीजी ससुराल चली
एक डोली चली,एक अर्थी चली।