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निर्गुण भजन nirgun Bhajan

Bhatakta dole kahe prani,भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी,nirgun bhajan

भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी।

भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी। भटकता डोले काहे प्राणी,

भटकता क्यों है मोह माया में, ये काया तेरी आनी जानी,
भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी  जिंदगानी।  भटकता डोले काहे प्राणी,

भटकना तेरा भक्ति पथ से, तुझे प्रभु किरपा की है हानी।
भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी। भटकता डोले काहे प्राणी,


भटकने वाले दुख पाते हैं, अगर जीवन में हो नादानी,
भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी। भटकता डोले काहे प्राणी,


करो नित प्रभु का सुमिरन रहे तेरे जीवन में खुशहाली
भटकता डोले काहे प्राणी, चला आ प्रभु की तू शरण में, बदल जाएगी जिंदगानी। भटकता डोले काहे प्राणी,

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