अजब अनोखा करके श्रृंगार, होकर नंदी पर वो सवार,
Tag: Jabse dekhyo hai tharo sringar dadi
सखियों करो सोलह श्रृंगार,हरी हमें लेने आए है।
श्याम को घोरलियो सिंगार
दादी ओढ़ ले टाबरिया थारी चुंदड़ ल्याया ये।
चालो खुशियां मनावां, झुमां नाचां और गावां
दादीजी म्हारी अमर सुहागन जी
म्हाने चिंता है क्यांकी पड़ी,म्हारे पग पग पे दादी खड़ी।
गल मोत्यां को हार,सिर चुनड़ चमकदार
खाले डट के रे भोग लगाले डट के।
दादी चुनरी मुलायी,तने भाई की ना भाई
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