कन्हैया तेरी बांसुरियां सारे जग में धूम मचाई,
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गुरुकुल में पढ़ने जब आया साँवरा,
बस्ते में बाँसुरी ले आया सांवरा,
मोर मुकुट तेरे हाथों में बांसुरीया,
बांसुरिया लेकर आजा घनश्याम कदम के नीचे।
जितना राधा रोई रोई कान्हा के लिए,
यह तो बता दो बरसाने वारी, मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा
श्याम मुझे छोटी सी गीता मंगवा दो,
सांवरे की महफिल लगे खाटू में,
ग्यारस पे खाटू में आकर तो देखो,
झुलनी पे सेठ सांवरो झुलवा ने जावे सा,
बज गए ढोल नगाड़े,होय क्या बात हो गई।
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