वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें
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हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
म्हारा सतगुरु दीनी रे बताय ,
दलाली हीरा लालन की।
हे नारायण हे गोपाल, केशव माधव दीनदयाल।
तुलसा घूम रही ब्रज धाम, जाने कहां मिलेंगे श्याम।
जद भी पड़ी कोई दरकार,लीले चढ़ आयो सरकार,
बजरंग बालाजी अंजनी लाला जी,
तेरा सिंदूरी तन मन भाये,
जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।
सांवरे तेरा दर जन्नत की डगर, मुझे खाटू बुलाया तेरा शुक्रिया
हम दीवाने द्वार तुम्हारे,आये बाबा श्याम,
शरण तुम ले लो ना,
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