कान्हा तेरे रूप का तो दिया सा जले।दिया सा जले।गोवर्धन मैदान घाटी पहाड़ के तले।
Tag: Bhor bhai chidiya chichayi
अरे चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे
भोर भई चिड़िया चैंचायी, कान्हा कलेवा मांगे राम
दिल की हर धड़कन से,तेरा नाम निकलता हैं।
वह तो अंदर से समझा रहा है हमें, हम समझना ना चाहे तो वह क्या करें
हर देश में तू हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,
जिवडो तरसे नैना बरसे ,हाल हुआ बेहाल।