सिया से कहे हनुमाना रे,
माँ क्यों सिंदूर लगाया,
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बजरंग बालाजी अंजनी लाला जी,
तेरा सिंदूरी तन मन भाये,
हनुमान गगरिया ले लाओ ,मुझे जल भरने को जाना है
तन पर लगा सिंदूरी रंग,छमां छम नाच रहे बजरंग।
बुंटी एक से एक चमक रही, कोन सी ले जाऊं रामजी।
बानर बांको रे,लंका नगरी में मच गयो हाँको रे।
सारे जग में डंका बाजे,हो रहयो थारो नाम
नाच रहे हनुमान,राम गुण गाय गाय के।
कुन बाली रे लंका कुन बाली।
ये दानेदार माला मेरे किस काम की।
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