कैकई तूने लुट लिया,
दशरथ के खजाने को,
Tag: Bol suwa ram ram
उमरिया बिताए देयी,राम नहीं जाना।
शबरी राम को बेर खिला रही,मीठे चाख चख के।
राम करते रुदन निर भर के नयन, तीर मारा। हाय हाय मेरा लक्ष्मण प्यारा।
काऊ दिन पाले सुआ उड़ जायेंगे।
राम घर आया शबरी,
करे है बधावना,
मिठो जग में बोलणो हो रे हँसला फेर मिला ला नाय
राम राम राम जी के दूत हनुमान जी।
सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,
ऐसा है सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
काऊ दिन पाले सुआ उड़ जायेंगे।
You must be logged in to post a comment.