सर पे चुनरिया लाल,
और हाथों में मेहंदी रचाई है,
Tag: Din din maili hoy chunariya
घणा दिन सो लियो रे,
अब तो जाग मुसाफिर जाग ।
मारा हंसला रे चालो शिखरगढ़,
काया कोठड़ी में रंग लागो।
मां लाल चुनरिया में लगती निराली है। बड़ी सज धज के बैठी मां शेरावाली है
मेरी मैया की चुनरी कमाल है,
रंग सोना सोना लाल लाल है।।
काया माटी में मिल गई,
गईयोड़ा फेर नहीं आया।।
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी ।
नर तन फिर न मिलेगा छोड़ दे गठारिय वन्दे पाप की।
चुंदड़ी मखमल की,मखमल की, उसके चारों पल्ले लाल।
मेरी मां की चुनरिया सितारों जड़ी। इसे हर पल निहारु घड़ी हर घड़ी।
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