मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये
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जय रघुनन्दन जय सियाराम,
हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम।।
कैकई तूने लुट लिया,
दशरथ के खजाने को,
में वन का मोर बन जाऊं,और गाऊं राधे राधे।
मेरी नाव में चढ़ मत जाना,जादूगर दोनो भैया।
राम और लक्ष्मण दशरथ के बेटे दोनों बण खंड जाय
हेजी कोई राम मिलै भगवान।