मुझे अपनी शरण में ले लो राम, ले लो राम!
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सज के चली राधा प्यारी अरे राधा प्यारी,
जब जाना जनकपुर राम हमारी गली होकर के जाना।
गली-गली मत उगे तुलसा, कोई नहीं सीचन आवेगा
सेवा में गुजरे,
वक्त हनुमान का,
ऐसा है सेवक श्री राम का,
श्री राम का,
म्हारा खूब सज्या रे दीनानाथ,
म्हारा मन मोह लिया,
श्री राम के सच्चे सेवक,
करे शत शत तुम्हे प्रणाम,
सुबह शाम आए शालिग्राम रे जिनके अंगना में तुलसी।
तुलसा मने राम ते मिला दे। राम ते मिला दे घनश्याम ते मिला दे
कान्हा छुप छुप करे इशारे, तुलसा आ जाओ पास हमारे।
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