चीर के छाती बोले अपनी पवन पुत्र हनुमान,
Author: Pushpanjali
कन्हैया तेरी मेहरबानी रहे,
जब तलक ये मेरी जिंदगानी रहे,
म्हारे री बगड़ में
आइये मेरी मां
तेरे रंग में रंगूँगी मेरे सांवरे,
मैं तेरी थी रहूंगी मेरे साँवरे,
नैया है मझधार श्याम इसे,
पार लगा जाओं
ये नैया अटकी है मझधार।पार करो बालाजी नया बन के खेवनहार
बाबा खूब सुनी निर्धन की,
आज कमी नहीं मेरै धन की।
लाल चोला सीदे दर्जी,
जब आवनगि दर पे सुनेगी अर्जी,
जिसने कृष्ण कृष्ण टेरया,फेरी मन की माला,
गली गली एलान होना चाहिए, हर मंदिर में श्याम होना चाहिए।
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