ओ यशोदा कन्हैया जबर भयो रे।
माहरी मटकी उलट के पटल गयो रे,
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राधे राधे गोविन्द गोविन्द बोल,
केशव माधव हरी हरी बोल,
जुग जुग जीवे री,
यशोदा मैया तेरो ललना,
पलना में ललना झुलावे यशोदा मैया, पलना में ललना।
चोरी माखन की करे है दिन-रात जसोदा मैया तेरो लाला।
आँगली मरोड़ी मेरा छल्ला तोड़ा री,
यशोदा तेरे लाल ने,
द्वापर में कृष्ण कन्हैया ने,
क्या अद्भुद खेल रचाया था,
मैया का चेहरा सुहाना लगता है। लंगूर का तो दिल दीवाना लगता है।
पीपल की छांव में, ठंडी हवाओं में, बैठी है मेरी मैया, सबकी निगाहों में।
चोरी माखन की दे छोड़ कन्हीया मैं समझाऊँ तोय,
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