मै भीलण भिखियारी,
सदा रे शिव मत कर प्रीत हमारी
Tag: Dhan dhan bholenath sadashiv
हट मत पकडे पार्वती,
थाने शिवजी परणवा आवेला,
नान्दीेये पे हो के सवार,
भोलाजी चले दुल्हा बनके,
शिव रूद्राष्टकम :
भोले के गले में काला नाग डोले,
भोले तेरे पर्वत पे कैसे छा रही छटा निराली है।
अरजी सुणज्यो जीतपुरार, थे तो भूतों के सरदार,
हे शिव भोले भंडारी,
मैं आया शरण तिहारी,
सूरज जब पलके खोले, मन नमह शिवाये बोले,
आज कैलाश पर्वत आनंद भयो रे
पारवती के गजानन भयो रे।
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