कान्हा मान ले मेरी बात नहीं तो तोहे रंग लगाए दूंगी,
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सखी दूसरों रंग चढ़ेगो नही,अब सांवर रंग रंग्यों सो रंगयों।
ग्यारस फागण की खाटू रे मांहि रंग बरसावे रे, ग्यारस फागण की।
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी ।
ऐसा रंग राधा रानी चढ़ाया के होर रंग नहियो चढ़दा।
तेरे रंग में रंगूँगी मेरे सांवरे,
मैं तेरी थी रहूंगी मेरे साँवरे,
तेरे रंग में रंगा हर जमाना मिले,
मैं जहा भी रहु बरसाना मिले।
रंग डाला सिंदूर से तन लाल है।
तेरे रंग में रंग गई सांवरे मैने छोड़ दिया घर बार,
दासी अपनी राख ले।
मुझे अपने ही रंग में रंगले मेरे यार सांवरे,
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